रविवार, 21 अगस्त 2016

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पुस्तक समीक्षा : खुनी जंग ( कारवां )


कुछ अरसे पहले याली ड्रीम्स क्रिएशन की होरर ग्राफिक नॉवेल ‘’कारवाँ ‘’ रिलीज हुयी थी जिसे काफी चर्चा मिली थी , उसकी सफलता से प्रेरित होकर उसका हिंदी रूपांतरण भी किया गया ,जो मेरे व्यग्तिगत विचार से अंग्रेजी से भी बेहतर बनी थी l चूँकि मैंने हिंदी और अंग्रेजी दोनों पढ़ी हुयी है तो तुलनात्मक रूप से यदि कहू तो हिंदी वर्जन में कही लगता ही नहीं के यह मूल रूप से अंग्रेजी ग्राफिक नॉवेल है ,यहाँ शब्द दर शब्द ट्रांसलेशन के बजाय भावार्थ को यथावत बनाये रखते हुए एक नयेपन और ताजगी के साथ ट्रांसलेशन किया गया था l
कारवा के हसीन पिशाचो की कहानी के मूल को दर्शाने हेतु अर्थात उसके प्रिक्वेल के लिए भी कुछ भागो में अलग से ‘’ब्लड वॉर ‘’ सीरिज लिखी गयी जो चार भागो में याली ड्रीम्स से पब्लिश भी हुयी और सराही भी गयी l
और मेरे द्वारा यह चारो भाग भी पढ़े जा चुके थे के इसे भी हिंदी में लाने की घोषणा हुयी l
इन चारो भागो को मिलाकर एक ही भाग में समेटा गया ,और कुल 128 पृष्ठों की हिंदी में नयी ग्राफिक नॉवेल बनी l
इसकी कहानी की शुरुवात होती है देवगढ़ से ,देवगढ़ चम्बल से सटा एक गाँव है 
जहा ठाकुर सूर्यप्रताप का ख़ासा दबदबा है ,चम्बल से सटे होने के कारण यहाँ हमेशा 
से दस्यु गिरोहों का आतंक रहा है l
किन्तु देवगढ़ इसका अपवाद रहा है क्योकि देवगढ़ और दस्यु गिरोहों के 
बिच ठाकुर नाम की मजबूत दिवार खड़ी थी l
ठाकुर के पास हथियारों से सुसज्ज प्राईवेट आर्मी भी है जो इन 
दस्युओ का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पर्याप्त है और इसी कारणवश किसी 
दल की हिम्मत नहीं यहाँ का रूख करने की l
उनकी प्राईवेट आर्मी को सहयोग करता है फ़ॉरेस्ट ऑफिसर अविनाश , 
जो ठाकुर की बेटी ‘’मधुराक्षी ‘’ का कॉलेज के समय से प्रेमी रहा है और 
उसके इस देवगढ़ में होने की केवल वही एक वजह है ,ठाकुर दोनों के प्रेम से अनजान है l
एक अफवाह के अनुसार चम्बल के आसपास के बड़े गिरोहों को कोइ नया गिरोह
 तेजी से खत्म कर रहा है , नये गिरोह में केवल आठ सदस्य है और उन्होंने सौ
 दस्युओ के गिरोहों तक का सफाया कर दिया है l 
और ठाकुर सब इन सबसे चिंतित है उनके लिए यह दल एक पहेली है के
 कैसे इतने कम सदस्यों वाला दल चम्बल के खूंखार से खूंखार दलों का सफाया कर
 रहा उनमे जरुर कोई असाधारण बात है और वे चाहते है के उस दल की कुदृष्टि 
कभी देवगढ़ पर न पड़े l
और एक दिन वही हुवा जिसका डर था ,भेड़िया खान का एक दूत देवगढ़ के
 समर्पण का सन्देश लेकर मधुराक्षी के सामने जा पहुंचा ,
किन्तु मधुराक्षी और देवगढ़ वासियों ने उस दूत का सर काटकर भेड़िया खान के 
लिए सन्देश स्वरूप गाँव की हद के बाहर टांग दिया l
और यही उनकी भयानक भुल साबित हुयी , जिसका खामियाजा सारे देवगढ़ को भुगतना पड़ा , भेड़िया खान ने दल के साथ देवगढ को न सिर्फ तहस नहस कर दिया 
बल्कि मधुराक्षी को भी जलालत भरी जिन्दगी का श्राप दे दिया l
अविनाश के सामने ही सब कुछ होता है लेकिन वो कुछ कर नहीं पाता जिस
 वजह से शर्मिंदगी के कारण वह देवगढ़ से चला जाता है l 
दो साल बाद जब वह देवगढ़ लौटता है तब गाँव बदल चूका है और बदल चुकी है मधुराक्षी ,
इंतकाम की आग में जलती मधुराक्षी ने आवाहन किया है ‘’कारवां ‘’ का l
कारवाँ के बारे में किवदन्ती है के वह पिशाचो का एक दल है ,
जिसकी प्रमुख ‘’भैरवी’’ है , अब मधुराक्षी भेड़िया खान से बदला लेने की तैय्यारी में है l
यहाँ से शुरू होती है असली कहानी ,कारवाँ पढ़ कर जहा ‘’भैरवी’’ और
 उसके दल की दरिंदगी ने सिहरन दौड़ा दी थी तो यहाँ भेड़िया खान के रूप में उससे
 भी बढ़ कर दरिंदा निकला जो केवल दरिंदा की उपमा नहीं है बल्कि असल में दरिंदा ही है l
विक्रम का इस तरह की बातो में बिलकुल भी यकीन नहीं है 
और वह भेड़िया खान को मारने के लिए पूरी तरह से तैय्यार होकर आया है ,
अब देवगढ़ एक खुनी जंग का मैदान बन चूका है जहा कुछ होगा तो वो 
है रक्त और लाशों ढेर l
मधुराक्षी ,अविनाश ,भैरवी ,भेड़िया खान जैसे खून के प्यासे अब अपनी हर 
दरिंदगी की इन्तिहाँ के लिए सज्ज है l
इस कहानी में न कोई नायक है न खलनायक , 
यहाँ हर चरित्र स्वयं यह दोनों गुण लिए हुए है और अपनी प्रवृत्ति के अनुसार ही है l
128 पृष्ठों में कहानी को पर्याप्त तेजी और गति दी गयी है ,
बेवजह के पैनल्स या भटकाव बिलकुल भी नहीं है l 
कहानी का डार्क ट्रीटमेंट और माहौल एक अलग ही आभासी दुनिया का 
निर्माण करता है जिसकी वास्तविकता की कल्पना भी रीढ़ की हड्डियों में
 सिहरन दौड़ा देने के लिए पर्याप्त है l
कहानी चूँकि मैच्योर कंटेंट लिए हुए है इसलिए इसमें अपशब्द ,
खून खराबे की भरमार है , वैसे भी जहा पिशाच और दरिन्दे हो वहा
 यदि खून खराबा न हो तो कहानी की विभत्सता को दर्शाया ही नहीं जा सकता l
पढने से पहले यह जरुर मानकर चले के कॉमिक्स वाकई में बच्चो की चीज नहीं है ,
 भाषा कई जगहों पर अखर भी सकती है किन्तु परिवेश के अनुसार कही
 सही लगती है तो कही अतिरेक भी है l
कहानी का ट्रीटमेंट बढ़िया है ,पढ़ते हुए पूरा वातावरण सामने आता है , 
और आप भी उस दुनिया में पहुँच जाते है जहा न कानून है न कोई टेक्नोलोजी , 
जहा कुछ है तो घुटन है ,दहशत है , कुछ डरावने ख़्वाब जिसके हकीकत में होने 
की आप सोच भी नहीं सकते l
कहानी से सही न्याय करता है आर्ट डिपार्टमेंट , बेजोड़ भले ही न कहू किन्तु
 आर्ट मनमोहक है और पूरी तरह से एक होरर और मैच्योर कंटेंट के साथ न्याय करता है ,
 कलरिंग से आर्ट में चार चाँद लगते है कलरिंग काफी बढ़िया है खासकर खून खराबे 
वाले दृश्यों पर , अंग्रेजी में पता नहीं क्यों खून खराबे के कुछ दृश्य डल से लगे थे
 किन्तु हिंदी में शायद कुछ बदलाव किया गया हो क्योकि मुझे 
ऐसा कही कुछ दुबारा दिखा नहीं l
नॉवेल का साईज भी काफी बढ़िया एवं स्लिक है जो इसे काफी आकर्षक बनाता है l
एक बढ़िया होरर कंटेंट लिए हुए है ‘’खुनी जंग ‘’ जो मधुराक्षी का ओरिजिन भी बतलाता है ,जिसका कहर हमने कारवां में देखा था , उस खुनी मधुराक्षी के पीछे की कहानी काफी मर्मान्तक है जिसे आप अवश्य पढना चाहेंगे l
बाकी अब ‘’कारवां ‘’ खुद बी खुद सीरिज बन चुकी है जिसका तीसरा इंस्टालमेंट 
आने की घोषणा भी हो चुकी है l

मैच्योर कंटेंट ,बढ़िया आर्ट ,होरर प्रेमी ,खून और गोर पसंद करनेवाले पाठको के लिए यह एक जबरदस्त ट्रीटमेंट है l 

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