मंगलवार, 26 नवंबर 2013

‘भारतीय कॉमिक्स फेस्टिवल ‘ दिल्ली

‘’आर्यन क्रियेशनज ‘की ओर से एक कॉमिक स्ट्रिप ,जो समर्पित है कॉमिक फेस्टिवल के लिये

आधिकारिक तौर पर मनाये जानेवाले पहले ‘भारतीय कॉमिक्स फेस्टिवल ‘ दिल्ली , के लिये हमारे ‘’आर्यन क्रियेशनज ‘की ओर से एक कॉमिक स्ट्रिप ,जो समर्पित है कॉमिक फेस्टिवल के लिये ,
कॉमिक फेस्टिवल ! जिसका असल नाम दरअसल ‘नागराज जन्मोत्सव ‘ था ,जिसे प्रतिवर्ष ‘राज कॉमिक्स ‘ की ओर से भव्य स्तर पर मनाया जाता है ! यह महोत्सव समर्पित था राज कॉमिक्स के सबसे ज्यादा मशहूर पात्र ‘नागराज ‘ को ,जिसके जन्मदिवस को एक उत्सव का स्वरूप दिया गया ,
ईस महोत्सव में प्रतिवर्ष देशभर से सैकड़ो कॉमिक फैन्स शिरकत करते है ! और अपने प्रिय लेखको ,चित्रकारों से मिलने के साथ साथ अपने जैसे और भी कॉमिक्स फैन्स से मिलते है ,साल दर साल ईस महोत्सव का स्वरूप बदलता गया ! और ईस वर्ष नवम्बर माह के आखिरी दिनों में ईस महोत्सव को एक नया स्वरूप दिया ! इसी के साथ ईस महोत्सव का दायरा सिर्फ राज कॉमिक्स तक सीमित ना होते हुये और भी विशाल हो गया .जिसमे कई अन्य भारतीय कॉमिक्स कम्पनीज ने हिस्सा लिया .
‘’कॉमिक कॉन ‘ की तर्ज़ पर हुये ईस पहले आयोजन को आयोजन के पहले ही ‘कॉमिक कॉन ‘ से कही ज्यादा प्रसिद्धि मिली है, और सभी कॉमिक फैन्स एवं पाठक उत्सुकता से इस दिन की प्रतीक्षा कर रहे है .कहना ना होगा के ईस इवेंट में ईस बार बहुत ही धमाके होनेवाले है ,इसमें हिस्सा ले रही है राज कॉमिक्स ,फेनिल कॉमिक्स ,कैम्पफायर ,हॉली काउ ,डायमंड कॉमिक्स ,रोवोल्ट ,जैसे महारथी ! साथ ही साथ कई प्रसिद्ध हस्तिया भी .रंगारंग कार्यक्रम के अलावा होंगे कई सारी प्रतियोगिताये ,मैजिक शोज ,कल्पनालोक अवार्ड्स ,और भी बहुत कुछ .
अफ़सोस सिर्फ ईस बात का है के हम ईस इवेंट का हिस्सा नहीं बन सके ! किन्तु फिर भी वहा मौजूद अपने दोस्तों के जरिये इसकी पल पल की अपडेट लेते रहेंगे ,ईस साल ना सही किन्तु अगले साल जरुर हम ईस इवेंट का हिस्सा बनेंगे और अपने कभी ना मिले हुये किन्तु ख़ास मित्रो से भेंट करेंगे , अगर आप दिल्ली के रहनेवाले है या आसपास के या फिर भारत में कही के भी और आपको कॉमिक्स से लगाव है ,या कॉमिक्स कभी आपके बचपन का हिस्सा रहे हो ,तो जरुर जरुर ‘कॉमिक फेस्टिवल ‘ का हिस्सा बनिये .

 

बुधवार, 20 नवंबर 2013

मेरी प्रथम पब्लिश हुई रचना !

मेरी प्रथम पब्लिश हुई रचना !
 'भोपाल ' से प्रकाशित पत्रिका 'रुबरु दुनिया ' के नवंबर २०१३ के अंक में .

'भोपाल ' से प्रकाशित पत्रिका 'रुबरु दुनिया ' के नवंबर २०१३ के अंक में .

 'रुबरु दुनिया ' के विषय में अधिक जानने के लिये लिंक पर क्लिक करे !https://www.facebook.com/#!/photo.php?fbid=544150812327842&set=a.346357598773832.79963.335869879822604&type=1&theater

शुक्रवार, 8 नवंबर 2013

इंटर व्यू, तिवारी जी द्वारा

भोजपुरी स्टार का भोजपुरी फिल्मो में बढ़ति अश्लीलता विषय में लिया गया इंटर व्यू, तिवारी जी द्वारा ( प्रथम भाग )
नोट : सभी पात्र एवं घटनाये काल्पनिक है ! उद्देश्य मात्र मनोरंजन है, दिल पे ले तो हमारी बला से हीहीही !
तिवारी जी आज बड़े खुश थे ! उभरते पत्रकार थे , और उन्हें अपनी पत्रिका के लिये भोजपुरी सुपरस्टार ‘सन्देश लाल यादव ‘ जिन्हें भोजपुरी फिल्म जगत में ‘बौरहवा ‘’ ( पगला ) नाम से बुलाया जाता था , का इंटरव्यू जो लेना था .
पहुँच गये ‘’चलायिब गोली दनादन ‘’के सेट पर ! एक आईटम डांस फिल्माया जा रहा था , ‘सन्देश हिरोईन के आगे पीछे मटक मटक कार ठुमके लगा रहे थे ! पच्चीस डांसर्स पीछे एक लय में कोरियोग्राफर के इशारे पर नाच रहे थे , कोरियोग्राफर शक्ल से ही छंटा हुवा बदमाश लग रहा था ,
और ‘शाह ‘ जी ने पैक अप कहा ! मौक़ा देख कर ‘तिवारी ‘ जी सन्देश के सामने जा खड़े हुये .
‘’नमस्कार संदेस बाबू ‘’ बत्तिस्सी निपोरते हुये तिवारी मुकुराये 


 ‘’नमस्कार तिवारी जी ! नमस्कार ,आईये बैठिये ‘’ सन्देश ने हाथ जोड़ते हुये कहा और सामने की कुर्सी की ओर इशारा कर दिया .

‘’का लेंगे तिवारी जी ? चाय या काफी , अरे गोली मारिये चाय काफी को ! गर्मी बड़ा जोरो पर है तो ठंडा पीजिएगा ‘’ सन्देश ने मुस्कुराते हुये कहा , सन्देश जो भले ही भोजपुरी का सुपरस्टार था ! लेकिन वह इंटर व्यू की महत्ता से अनजान नहीं था ,इंटरव्यू देने का कोई भी मौक़ा हाथ से जाने नहीं देता था ,
चाय ठंडा निपट गया ! और तिवारी जी सीधे जर्नलिजम पर आ गये .

तिवारी : सर्वप्रथम आप हमें यह बताये के आप अपने नाम के आगे ‘बौरहवा ‘’ क्यों लगाते है ?

सन्देश : भक्क !!! हम थोड़े ही लगाते है .यह तो जनता का प्यार है जो हमें इस नाम से पुकारती है ,आपको शुरुवात से सब बताना पड़ेगा , दरअसल बात यह है के हम बचपन में थोड़े ‘बौरहे ‘ थे ( पागल टाईप ) पढाई लिखाई में मन नहीं लगता था ! सनीमा के दीवाने थे हम , बहुत देखते थे ,बीच बीच में गाव में दिवाली –दशहरे –होली के मौको पर नौटंकी लगती थी ! हम आसपास के आठ गाव तक चले जाते थे नौटंकी देखने के चक्कर में ,बिरहा ,बेलवरिया के दीवाने थे ( लोकगायकी का एक प्रकार ) धीरे धीरे हमने लोकगायको की नकल करनी शुरू कर दी , और हम अपने दोस्तों के बीच भी ढोलक हारमोनियम लेके बैठ जाया करते थे , लोगो की प्रशंशा में मिलने लगी तो हम और ‘बौरहे ‘ होने लगे ! आसपास के लाग हमें ‘बौरहवा ‘ के नाम से पुकारने लगे ,तभी गाव में होली के मौके पर एक नौटंकी आई और हमने किसी तरह जोड़ तोड़ करके उसमे शामिल हो गये सौ रुपईया मिले थे ,अब हमने नाच के भी दिखाया तो एक्कावन रुपईया और मिला !
हम तो खुश हो गये ,ईसी बीच यह बात बाबूजी के संज्ञान में आई ,और उस शाम हमें बेंत से मार पड़ी ! बाबूजी सख्त खिलाफ थे के हम ‘नचनिया ‘ बने ! बाबूजी नाचगाने वालो को यही कहा करते थे .
बस हमने समझ लिया के अब अपना यहाँ ठिकाना नहीं है कौनो ,तो हम उसी दल के साथ भाग लिये ,उसके बाद कई शहरों में शो हुये और लोगो का अच्छा खासा प्रतिसाद मिला , एक लोकल म्यूजिक कम्पनी ने हमारा कैसेट जारी कर दिया ‘बौरहवा पगलायिल बा ‘’ और इसके बाद हमारी डिमांड बढ़ी तो बाबूजी ने हमें फिर अपना लिया .

तिवारी : भोजपुरी फिल्मो में बढती अश्लीलता के बारे में क्या कहना चाहेंगे ?





सन्देश : हम बहुत चिंतित है ईस बात को लेकर ,अफ़सोस होता है के कुछ लोग खाली पैसा बनावे खातिर आपन संस्कृति के गिरवी रख रहिल बानी ! माफ़ करी मेरा कहने का अर्थ यह था के कुछ लाग सिर्फ पैसा कमाने के खातिर और सस्ती लोकप्रियता पाने के लिये अपनी संस्कृति का बंटाधार कर रहे है .

तिवारी : किन्तु सन्देश जी ,आपकी शुरवाती अल्बम्स और नौटंकी भी काफी अश्लील और द्विअर्थी हुवा करती थी ,

सन्देश ( झेंपते हुये और बनावटी हंसी हस्ते हुये ) हाहाहा तिवारी जी लागत है रवुआ ( आप ) पूरी छानबीन करके आईल बानी .

तिवारी : अब पत्रकार है तो इतना तो करना ही पड़ता है ! और आप भोजपुरी में क्यों बाते कर रहे है ?

सन्देश : हम भोजपुरी जो ठहरे , आपन भाषा पे गर्व है हमका .

तिवारी : क्षमा कीजियेगा सन्देश जी किन्तु आप तो जौनपुर से बिलांग करते है ! और वहा तो ‘भोजपुरी ‘ नहीं अवधि बोली जाती है अधिकतर , भोजपुरी तो बिहार के ‘भोजपुर ‘ गाव से शुरू हुयी थी .

सन्देश : हीहीही ( खिसियानी हंसी ) तिवारी जी समझा कीजिये ! हमारी फिल्मे भोजपुरी है तो हमें कहना पड़ता है यह सब ,वैसे भी भोजपुरी तो हर जगह देखि जाती है उत्तर प्रदेश हो या बिहार या मध्य प्रदेश और अब तो बम्बई (मुंबई ) में भी देखि जाती है .

तिवारी : अच्छा जाने दीजिये ईस बात को , हम भोजपुरी सिनेमा के गिरते स्तर पर आते है .

सन्देश : हां यह बात काफी जरुरी है ! इसके लिये हमें कहानियों पर ध्यान देना होगा , फिल्मे शशक्त माध्यम है समाज में सन्देश देने का तो हमें ऐसी सार्थक फिल्मे बनानी चाहिए ,बेवजह की अश्लीलता के खिलाफ हमें एकजुट होना पड़ेगा .

तिवारी : वह तो ठीक है सन्देश जी किन्तु अभी अभी आप आईटम सांग फिल्मा कर आ रहे है ! भोजपुरी आईटम क्वीन कहे जाने वाली ‘दुर्भावना ‘ जी के साथ ,और उनके कोस्ट्युम भी काफी अश्लील लग रहे थे ,गानों के बीच उनका नृत्य भी काफी अश्लील लग रहा था ,और आप कह रहे है के आप बेवजह की अश्लीलता के खिलाफ है ?

सन्देश : ( सकपकाया हुवा ) : तिवारी जी ,हमने कहा था हम बेवजह की अश्लीलता के खिलाफ , और हम कुछ सार्थक फिल्म बनाना चाहते है ,यहाँ पर यह गीत ईस कहानी का हिस्सा है ! लड़की की बिदाई हुयी है तो आईटम सांग रखवा दिया है .

तिवारी : (परेशान होते हुये ) : बेटी की बिदाई में आईटम सांग ? सन्देश जी यहाँ तो बिदाई का गीत होना चाहिये सन्देश : हां वह भी है , ईस गीत के बाद ‘बिटिया तोहार जाने से अंगना में आईल बहार ‘’ अर्ररर क्षमा कीजियेगा ‘अंगना भईल उजाड़ ‘

 तिवारी : किन्तु आईटम सांग का तर्क नहीं समझ में आया ?

सन्देश : हम समझावत है ! देखिये अट्ठारह साल तक माई बाप ने बिटिया को पाला है उनके जिगर का टुकड़ा है वह ,अब उसकी बिदाई के समय माई –बाप की आँखों में पानी है और बिटियावाले दुखी है ! लेकिन बिटिया के भाई को अपने घरवालो और गाववालो का दुःख देखा नहीं जाता इसलिये उसने उन का मन बहलावे खातिर पहले से ही आईटम सांग का परोगराम बना रखा है ! समझे ? भाई का प्यार है यह जो अपने माँ बाप और गाववालो को दुखी नहीं देख सकता इसलिये यह गीत जरुरी है ,इससे सबका मन बहलता है .

तिवारी : किन्तु यह अश्लील नृत्य हावभाव ? द्विअर्थी शब्द ? इनका क्या तर्क है ?

सन्देश : तिवारी जी कौन दुनिया में पड़े हो आप ? अरे भईया हमरे भारत में आजकल अच्छे गाने पर किसका मन बहलता है ? गाने में थोड़ी सी उत्तेजना जरुरी है ,हम अश्लीलता के खिलाफ है इसलिये गाने को कलात्मक ढंग से फिल्माया है अब इसमें अश्लील का है ?

तिवारी : गाने का शीर्षक ‘पलंगतोड़ बलमा ‘’ है ! क्या यह अश्लील नहीं है ?

सन्देश : तिवारी जी ज़रा सा ह्यूमर भी जरुरी है ! यह एक अर्थपूर्ण गाना है , इसमें एक औरत है जो चूल्हे के लिये लकडिया ना होने से परेशान है ! बरसात का माहौल है तो लकड़ी कहा से आये ? तो वह अपने बलमा से कह रही है ‘पलंगतोड़ बलमा ‘ ताकि वह पलंग की लकडियो से चुल्हा जलाये ! आपने गौर नहीं किया ईस गाने में हमने भारत की गरीबी को दिखाने की कोशिश भी की है के कैसे गरीब व्यक्ति एक वक्त का खाना पकाने के लिये जद्दोजहद करता है ! अब आगरा इसमें अश्लील लगे तो अश्लील यह गाना नहीं सोचने वाले का दिमाग है ! आपको समझ में आया न के गाना कलात्मक है .

तिवारी : ( अपने बाल नोचने की मुद्रा में ) ज ..ज..जी हम समझ गये गाना बिलकुल अश्लील नहीं है ,हमने सूना है आपकी फिल्मो में महिला पात्रो की कोई अहमियत नहीं होती ? पुरुषप्रधान फिल्मे होती है आपकी जिसमे हिरोईन का कार्य सिर्फ नायक का दिल बहलाने और उसके आगे पीछे नाचने भर का होता है .

सन्देश : कैसी बाते कर रहे है तिवारी जी ? हमारी फिल्मे महिलाप्रधान होती है ,अब इसी फिल्म को देखिये नायक के साथ में चार –चार नायिकाये है तो हुयी ना फिल्म महिलाप्रधान ! वैसे भी इसमें ‘ग्राम प्रधान ‘ की भूमिका में भी एक महिला ही है तो आप कैसे कह सकते है के हमारी फिल्मे महिलाप्रधान नहीं होती ?

तिवारी : ( हैरानी से मुह खुला का खुला है ) : च ..चार नायिकाये ? सही है जी ! लगता है हम ही गलत थे
क्रमश ....



सम्पर्क करे ( Contact us )

नाम

ईमेल *

संदेश *